📜 पापा के नाम — एक अधूरी चिट्ठी
प्रिय पापा,
आज फादर डे है।
सब लोग अपने पापा के साथ तस्वीरें डाल रहे हैं, केक काट रहे हैं, और मैं... बस आपकी तस्वीर को तक रहा हूँ।
कितनी अजीब बात है ना —
जिसने मुझे बोलना सिखाया,
आज उसी से कुछ कह नहीं पा रहा हूँ।
पापा, आप गए नहीं हैं, बस दिखते नहीं हैं।
आपकी आवाज़ अब भी गूंजती है कानों में —
“डरो मत, मैं हूँ ना।”
आज जब ज़िंदगी की चोट लगती है,
तो आप की वही बात फिर से दिल को सहलाती है।
मुझे याद है, आप थके हुए भी लौटते थे,
तो मेरे लिए हँसी लेकर आते थे।
खुद के लिए कुछ नहीं माँगा,
पर मेरी हर ख्वाहिश पूरी की।
मैंने कभी "थैंक यू" नहीं कहा पापा…
क्योंकि आपने कभी जताया ही नहीं कि आप कर क्या रहे थे।
पापा, आज आप बहुत याद आ रहे हैं।
आपके पुराने चश्मे, आपकी घड़ी,
और अलमारी में रखी आपकी डायरी —
सब मुझे आपसे जोड़ती है।
काश! एक बार फिर कह पाता —
"पापा, मुझे आपकी बहुत ज़रूरत है।"
जहाँ भी हैं, खुश रहिए…
कभी सपने में ही सही, आ जाइए…
आपका बेटा इंतजार कर रहा है।
आपका,
जो आपकी ऊँगली थामकर चलता था।