आदरणीय अभिभावक गण, शिक्षक साथी और प्यारे बच्चों,
सबको मेरा सादर नमस्कार।
आज हमारे विद्यालय में आयोजित इस 'अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी' (PTM) में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आप अपने व्यस्त समय में से वक्त निकालकर यहाँ आए, यह दर्शाता है कि आप अपने बच्चे के भविष्य के प्रति कितने जागरूक हैं।
जैसा कि आप जानते हैं, एक बच्चे का विकास केवल स्कूल के भरोसे नहीं हो सकता। विद्यालय और परिवार गाड़ी के दो पहियों की तरह हैं, जिनका साथ मिलकर चलना बहुत जरूरी है। बिहार सरकार और शिक्षा विभाग का भी यही उद्देश्य है कि हम और आप मिलकर एक 'सकारात्मक संवाद' स्थापित करें।
आज की बैठक का मुख्य उद्देश्य केवल बच्चों के नंबर या रिजल्ट पर बात करना नहीं है, बल्कि यह समझना है कि बच्चे की सीखने की गति (Learning speed) और उसकी रुचि (Interest) क्या है। हर बच्चा खास होता है, और हमें उसकी उसी खासियत को निखारना है।
इसके साथ ही, आज हम बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर भी विशेष चर्चा करेंगे। जैसा कि आमंत्रण पत्र में भी लिखा है—एनीमिया (खून की कमी) की रोकथाम और सही पोषण बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुत जरूरी है। अगर बच्चा शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा, तो उसका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। इसलिए, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि घर पर बच्चों के खान-पान, हरी सब्जियों और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
अब मैं आपका ध्यान एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय की ओर खींचना चाहता हूँ/चाहती हूँ।
बिहार सरकार के नए नियमों के अनुसार, अब विद्यालय में 75% उपस्थिति (Attendance) अनिवार्य कर दी गई है। यह नियम केवल कागजी नहीं है। यदि आपके बच्चे की उपस्थिति 75% से कम रहती है, तो वे सरकार द्वारा मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं जैसे—छात्रवृत्ति, साइकिल योजना और पोशाक राशि—के लाभ से वंचित रह सकते हैं। यहाँ तक कि नियमानुसार उनका नाम भी काटा जा सकता है।
इसलिए, मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजें। रोज स्कूल आने से न केवल उनकी पढ़ाई अच्छी होगी, बल्कि उन्हें सभी सरकारी लाभ भी मिलते रहेंगे।
अंत में, मैं बस इतना कहूँगा कि आप अपने सुझाव हमें जरूर दें और विद्यालय के साथ निरंतर संपर्क में रहें। आइए, हम मिलकर संकल्प लें कि हम अपने बच्चों को स्वस्थ रखेंगे और नियमित स्कूल भेजेंगे।
धन्यवाद!
